लेखनी डायरी- 20-12-2021 मार्च
20/12/2021- मार्च
मार्च का महीना एक शिक्षिका के लिए बड़ा ही अहम महीना होता है क्योंकि इस समय स्कूल में बच्चों के पेपर होते हैं और टीचर्स पर रिजल्ट बनाने की महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी होती है। दिल्ली में मैं सी.बी.एस.इ बोर्ड के स्कूल में पढ़ाती थी। तब फरवरी के अंत में पेपर शुरू हो जाते थे बच्चों के और मार्च तक चलते थे। मेरे विषय के पेपर दूसरी टीचर चेक करती थी और उसके विषय के मैं, क्रॉस चेकिंग होती थी। फिर सभी पेपर इंचार्ज के पास जाते थे, वो अलग से हमारी चेकिंग को चेक करतीं थी।
उसके बाद रिपोर्ट कार्ड बनाना और साथ में हर बच्चे के व्यक्तित्व के बारे में, उसकी क्लास में परफॉर्मेन्स के बारे में लिखना होता था। रिपोर्ट कार्ड हम लोग घर ले जाते थे बनाने के लिए। रिजल्ट बनाने के बाद काम होता था, मास्टर रजिस्टर में अपनी क्लास के बच्चों के मार्क्स एंटर करना, उन मार्क्स को लिखने के लिए हमें बढ़िया क्वालिटी का पायलट पेन दिया जाता था।
सभी टीचर्स अपनी-अपनी क्लास का दरवाज़ा बन्द करके अकेले बैठकर यह काम करतीं थी क्योंकि इस काम में ज़रा सी भी गलती स्वीकार्य नहीं थी। बड़ा ही डर लगता था मास्टर रजिस्टर में मार्क्स लिखते हुए उस वक़्त।
मुंबई में सी.बी.एस.इ बोर्ड वाले स्कूल गिनती के होंगे। यहाँ ज़्यादातर स्टेट बोर्ड या फिर आई.सी.एस.सी बोर्ड के स्कूल्स हैं। मैंने इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ाया था तीन साल पहले वहाँ आई.सी.एस.सी बोर्ड था। सांस लेने की भी फुर्सत नहीं होती थी, इतना काम था। पढ़ाने के साथ एक्स्ट्रा करीकुलर एक्टिविटीज वाले काम बहुत होते थे।
स्कूल कोई भी हो , तनाव और काम ऑफिस के काम से भी ज्यादा रहता है। एक टीचर की नौकरी 12-13 घण्टे से कम की नहीं होती। 9 घण्टे तो स्कूल में ही बीत जाते हैं, फिर घर आकर बच्चों के लिए कंप्यूटर पर बैठकर वर्कशीट बनाओ, पेपर बनाओ, बहुत काम होता है। जब लोग कहते हैं टीचर करती क्या है तो सुनकर बहुत गुस्सा आता है। सरकारी स्कूल में हो सकता है कुछ हद तक आराम मिल जाए लेकिन प्राइवेट स्कूलों में बस पूरा दिन काम करने में ही निकल जाता है और स्कूल की समय सीमा समाप्त होने के बाद भी मीटिंग के लिए और एक्स्ट्रा कामों के लिए रुकना पड़ता है।
टीचर करती क्या है?
टीचर आपके बच्चों के भविष्य की नींव रखती है और उस नींव को मजबूत इमारत में तब्दील करती है। आपके बच्चे को इंसान बनाती है, सिर्फ किताबी शिक्षा ही नहीं, उसे जीवन के हर पहलू का ज्ञान देती है। उसके व्यवहार पर, उसके स्वास्थ्य पर नज़र रखती है। अपना टिफ़िन खाने से पहले वो आपके बच्चे के टिफिन का ध्यान रखती है कि उसने खाना खाया कि नहीं, कहीं वो टिफ़िन लाना तो नहीं भूल गया।
टीचर आपके बच्चे की आया नहीं है बल्कि एक माँ की तरह उसकी देखभाल करती है।
टीचर्स को ज्यादा नहीं तो कम से कम थोड़ा तो आदर दीजिये क्योंकि आजकल मैंने देखा है पेरेंट्स और बच्चों की नज़र में टीचर्स की इज्जत कम होती जा रही है। उन्हें लगता है ज्यादा फीस स्कूल में देकर उन्होंने टीचर को खरीद लिया है। फीस स्कूल मैनेजमेंट के पास जाती होगी ज्यादा लेकिन टीचर के हिस्से में कम ही आती है उसके काम के मुकाबले में।
❤सोनिया जाधव
# डायरी
Swati chourasia
20-Dec-2021 08:02 PM
Very beautiful 👌
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Shilpa modi
20-Dec-2021 05:44 PM
शानदार लेखन
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Gunjan Kamal
20-Dec-2021 05:02 PM
बिल्कुल सही कहा आपने मैम शानदार प्रस्तुति 👌
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